कायस्थ समुदाय के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण है चित्रगुप्त पूजा,

कायस्थ समुदाय के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण है चित्रगुप्त पूजा, जानें इसकी विधि और मुहूर्त

चित्रगुप्त पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है

Chitragupt Pooja 2024: भारतीय संस्कृति में पूजा पाठ का बहुत अधिक महत्व होता है। भारत में कई अलग-अलग प्रकार के लोग रहते हैं, व उनकी मान्यताएं भी उसी प्रकार अलग-अलग होती हैं। आज हम आपको चित्रगुप्त पूजा के बारे में बताएंगे जिसका कायस्थ समुदाय में काफी गहरा महत्व है।

कब है चित्रगुप्त पूजा?

 

चित्रगुप्त पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है, जिसे मुख्य रूप से कायस्थ समुदाय द्वारा मनाया जाता है। 3 नवंबर यानि आज के दिन पूरे भारत में यह पूजा मनाया जा रहा है। चित्रगुप्त पूजा हिंदू चंद्र माह कार्तिक में बढ़ते चंद्रमा के दूसरे दिन जिसे कार्तिक शुक्ल द्वितीया के रूप में जाना जाता है उसी दिन इस पूजा का आयोजन किया जाता है। यह त्यौहार मानव कर्मों के दिव्य रिकॉर्ड रखने वाले भगवान चित्रगुप्त को सम्मानित करके मनाया जाता है।

 

शुभ मुहूर्त

 

आमतौर पर चित्रगुप्त पूजा कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दौरान किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अनुष्ठान इस त्योहार से जुड़े खगोलीय चरण के साथ रेखांकित हो। इस साल चित्रगुप्त पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:10 से लेकर दोपहर के 3:21 तक है। यानी कुल 2 घंटे 12 मिनट का समय ही है जब भगवान चित्रगुप्त को विधि पूर्वक पूजा अर्पण किया जा सके।

 

चित्रगुप्त पूजा का महत्त्व

 

चित्रगुप्त पूजा का संस्कृतीक और आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है खास तौर पर कायस्थ समुदाय में इस दिन पूजे जाने वाले देवता भगवान चित्रगुप्त को मृत्यु के देवता यमराज के मेहनती रिकॉर्ड कीपर के रूप में जाना जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान चित्रगुप्त प्रत्येक जीव के अच्छे और बुरे कर्मों का एक व्यापक रिकॉर्ड रखते हैं जिसमें न केवल दृश्यमान बल्कि छुपे हुए कर्मों का भी रिकॉर्ड होता है। भक्तजन चित्रगुप्त महाराज को कलम, स्याही दानी और खाता भेंट करते हैं। जो रिकॉर्ड रखने के उनके दिव्य कर्तव्य का प्रतीक है। स्याही दानी जिसे पारंपरिक रूप से मत्स्य धारा कहा जाता है, वह प्रमुख अनुष्ठान का केंद्र है। जिससे त्यौहार को इसका वैकल्पिक नाम मत्स्य धारा पूजा भी कहा जाता है। यह त्यौहार समझ, पवित्रता, जवाब देही और धार्मिक जीवन जीने के नैतिक कर्तव्यों का प्रतीक है।

 

पूजा की विधि

इस दिन सभी भक्त प्रसाद तैयार करते हैं, साथ ही कलम, स्याही की कलश और खाता वेदी पर रखकर चित्रगुप्त महाराज को अर्पित करते हैं। सभी लोग अच्छे भाग्य और सफलता के लिए चित्रगुप्त महाराज का आशीर्वाद लेते हैं, और प्रार्थना करते हैं, साथ ही फूल और मिठाइयां चढ़ाते हैं। कायस्थ समुदाय के लिए चित्रगुप्त महाराज कुल देवता के रूप में पूजे जाते हैं, और यह पूजा उनके धार्मिक जीवन के लिए आशीर्वाद पाने के अवसर के रूप में बहुत महत्व रखती है। पूजा के बाद अक्सर सामुदायिक समारोह, सांस्कृतिक कार्यक्रम और दावतें होती हैं जो परिवारों को एक साथ लाकर खुशी का जश्न मनाते हैं।